Bollywood script writing # 2 स्क्रिप्ट राइटिंग एलिमेंट्स



स्क्रिप्ट राइटिंग एलिमेंट्स 

Scriptwriting # 2


स्क्रिप्ट राइटिंग के लिए मुख्यता 6 एलिमेंट्स को इस्तेमाल किया जाता है जिनको एक नए रायटर को शुरुआत मे ही जान लेना चाहिए जिनको क्रमशा नीचे लिखा गया है 



1. सलग लाइन या सीन हेयडिंग
2. एक्शन या कार्य
3. कैरक्टर या चरित्र 
4. डाइलॉग या संवाद 
5. परंथेटिकल या श्ंडिक ( उस पल मे )
6. ट्रैनजिशन या माध्यमिक का समय 



स्क्रिप्ट लिखने के लिए इन 6 एलिमेंट्स को ही इस्तेमाल किया जाता है और हर रायटर इन एलिमेंट्स से ही अपनी स्क्रिप्ट को लिखता है। तो सबसे पहले आपको ये समझ लेना जरूरी है की  इन 6 एलिमेंट्स को जिस क्रम मे ऊपर लिखा गया है उसी क्रम मे ही स्क्रिप्ट लिखते समय इनको लिखा जाता है। यानि सबसे पहले सलग लाइन, फिर एक्शन, फिर कैरक्टर, फिर डाइलॉग उसके बाद परेंथेटिकल और सबसे आखिर मे ट्रैनजिशन। 

सलग लाइन 

जैसा की सबसे पहले सलग लाइन का जिक्र किया गया है। सलग लाइन को सीन हेयडिंग भी कहा जा सकता है। तो सबसे पहले सलग लाइन ही लिखी जाती है और सलग लाइन मे सबसे पहले ये लिहा जाता है की ये सीन इंडोर का है या आउटडोर का, मतलब की अगर सीन किसी घर का है या ऐसी जगह का है जो जगह इंडोर मे है वो कोई भी हो सकती है जैसे की होटल, हॉस्पिटल रूम  या जेल, कोई मंदिर या कोई भी ऐसी जगह जिसके ऊपर आसमान नहीं है तो उसके लिए INT लिखा जाता है और अगर कोई सीन आउटडोर का है जैसे मानो की सड़क है या कोई मैदान है या किसी बिल्डिंग की छत है या कोई ऐसी जगह जो बंद नहीं है तो उसके लिए EXT लिखा जाता है उसके बाद सीन की लोकेशन यानि जो सीन कन्हा का है, जिससे सीन की सेटिंग करने मे सहायता मिलती है। और उसके बाद सीन को दिखाये गए समय को बताने के लिए टाइम लिखा जाता है। ये उस टाइम को बताता है जिस टाइम मे ये सीन फिल्म मे दिखाये जाने वाले सीन के टाइम की जानकारी दी जाती है जिसको हम कुछ उदाहरण से समझ सकते है। 

INT॰ HOSPITAL ICU WARD॰ DAY 11 AM
INT॰ BEDROOM. NIGHT 9 PM
INT. CLUB. NIGHT 11 PM
EXT. HIGHWAY. DAY 9 AM
EXT. JUNGLE. DAY 3 PM


ऐसा देखा जाता है की स्क्रिप्ट लिखते समय सभी रायटर Day या Night ही लिख देते है। वो भी लिखा जा सकता है पर अगर टाइम लिखा जाता है तो लाइट डिपार्टमेंट को मदद मिलती है और वो उस टाइम के अनुसार ही सीन के लिए लाइट व्यवस्तिथ करते है जो एक अच्छा फील देता है। 

एक्शन

स्क्रिप्ट मे सलग लाइन के बाद एक्शन लिखा जाता है जिसमे हम उस सीन मे होने वाले कार्य को बताते है जिसको पढ़कर डाइरेक्टर उस सीन की शूटिंग की तयारी करता है और उसमे इस्तेमाल होने वाली छीजो को प्रॉडक्शन टीम उपलब्ध करती है और सेटटिंग टीम उस सेटटिंग को तैयार करती है। 

कैरक्टर 

स्टोरी बनाने के लिए सिर्फ दो ही एलिमेंट्स की जरूरत होती है एक कैरक्टर और दूसरा प्लॉट यानि घटनाए और हर स्टोरी मे जब हम स्टोरी से स्क्रिप्ट तैयार करते है तो कैरक्टर को लिखना होता है। जब हम बात करे ऑस्कर थेओरी की तो उसमे 55% बॉडी लैड्ग्वेज को दिया जाता है और 38% कैसे बोला गया है बाकी का 7% क्या बोला गया है इस बात को दिया जाता है इसलिए जब हम कैरक्टर की बात करे तो कैरक्टर की भूमिका को अच्छे से भावनात्मक और लूक को अच्छे से निखारना जरूरी होता है इस बात का ध्यान हर रायटर को रखना चाहिए और स्क्रिप्ट लिखते समय इस बात को ध्यान मे रखते हुए ही लिखना जरूरी है इस बात को जान लेना चाहिए वरना एक अच्छे किरदार को भी बेकार दिखने वाला असर बन जाता है। 



डाइलॉग 

जीवन के दो पहलू जिनमे एक है अभिव्यक्ति और दूसरा विचार इस बात को समझने के बाद ही हम समझ सकते है की जब हम बोलकर कुछ व्यक्त करते है तो उसमे भावनाओ का विशेष स्थान होता है और बिना भावना के बोले गए शब्द जैसे मुर्दा शब्द है जिनमे कोई सच्चाई प्रतीत नहीं होती और असर नहीं लाती जैसा की ऑस्कर थेओरी कहती है की क्या बोला गया है यानि लाइन यानि डाइलॉग क्या बोला गया है उसका असर 7 % है पर अगर सही शब्द और मैसेज डाइलॉग मे ना हो तो बाकी का 93 % भी बेअसर हो जाता है और अर्थ का अनर्थ हो सकता है इसलिए डाइलॉग लिखने के लिए रायटर को खुद के दिमाग से न सोचते हुए उस किरदार के दिमाग से सोचते हुए डाइलॉग लिखने की जरूरत होती है। वो किरदार जिसके बारे मे वो लिख रहा है वो कैसे सोचता है और वो क्या सोचेगा उस समय इस बात को ध्यान मे रखते हुए डाइलॉग लिखना चाहिए डाइलॉग का मतलब ही होता है की जब हम स्क्रिप्ट से बात कर रहे है नाकी आपसी बातचीत कर रहे है 

परंथेटिकल 

परंथेटिकल उस पल को बताता है जिस पल मे डाइलॉग बोला गया है यानि वो डाइलॉग बोलते समय क्या हुआ है कैसे बोला गया है मान लीजिये एक किरदार फोन पे बात करते हुए बोल रहा है तो परंथेटिकल मे लिखा जाता है की फोन पे। इसे हम स्क्रिप्ट के ड्राफ्ट मे और अच्छे से समझ सकेंगे। 


ट्रैनजिशन 

ट्रैनजिशन एक स्शोत को दूसरे शॉट से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो एक टेक्निकल टर्म है जिसका इस्तेमाल एडिटर एडिट करते समय करता है और इसका कोई बंधा हुआ नियाम नहीं है पर कुछ बेसिक ट्रैनजिशनस होती है जैसे कट टू, कट अवे, फेड इन, फेड आउट, डिसोलव, स्मश कट, डीप टु ब्लैक इत्यादि इनके अलावा हजारो की संख्या मे ट्रैनजिशन बनी हुई है और नई नई ट्रैनजिशन रोज़ बनती है जिनको एडिटर अपने हिसाब से अपनी जरूरत के लिए बनानते है जो एक सीन या शॉट को दूसरे शॉट से या सीन से जोड़ने के काम आती है।  पूरा अध्याय खरीदे